* बेटी पराया धन नही अनमोल है *
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* बेटी पराया धन नही अनमोल है * कहते हैं कि शादी के बाद बेटी का घर बसेगा या नहीं ये काफी हद तक बेटी की माँ पर निर्भर करता है। आदर्शवादी लोग मानते हैं कि कन्यादान के बाद बिटिया के जीवन में हस्तक्षेप करना गलत है। लड़कियों में बचपन से ही सहनशीलता का विकास करना चाहिए ताकि आगे चलकर वे ससुराल की विषम परिस्थितियों का सामना कर सकें। लेकिन इस विषय में मेरा अपना एक अलग ही नज़रिया है। मेरी पढ़ी-लिखी बेटी को अगर सिर्फ़ घर संभालने के नाम पर अपने सपने और कैरियर को छोड़ना पड़े तो मुझे उससे ऐतराज है और मैं समझती हूँ कि हर माँ को होना चाहिए। कितनी रातों की नींद और चैन गंवा कर, ना जाने कितनी ही चुनौतियों को पार करने के बाद कोई लड़की इस काबिल बनती है कि वो ज़माने की आँख में आँख मिला कर चल सके। इस सुअवसर को मेरी बिटिया यूँ ही जाने देगी तो मुझे ऐतराज होगा, चाहे उसका कन्यादान ही क्यों न कर दिया हो। मैं नहीं सिखा पाऊँगी उसको बर्दाश्त करना एक ऐसे आदमी को जो उसका सम्मान न कर सके। कैसे सिखाए कोई माँ अपनी फूल सी बच्ची को कि पति की मार खाना सौभाग्य की बात है? मैंने तो सिखाया है कोई एक मारे तो त